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सोमवार, 27 मार्च 2017
Ghazal | Urdu Shayari | Apni Palkon pe Koi Khwaab
रविवार, 12 जुलाई 2015
Ramzan Vidaai Song | Ramzaan Ja Riya Haiga
मंगलवार, 16 अगस्त 2011
Dua | Prayer in Urdu | Tu kareem hai | दुआ | तू करीम है | By MOIN SHAMSI
मंगलवार, 12 जुलाई 2011
Romantic Shayari - Barsat ki Ghazal - in Hindi | ग़ज़ल | वस्ल की ख़्वाहिश
शुक्रवार, 25 फ़रवरी 2011
Talli Ghazal - टल्ली ग़ज़ल | Mast Ghazal
सोमवार, 24 जनवरी 2011
Hindi Ghazal | Deshbhakti Poetry | देशभक्ति-ग़ज़ल | Patriotic Ghazal - (All rights reserved)
Hindi Ghazal - देशभक्ति-ग़ज़ल
देश के कण-कण से और जन-जन से मुझको प्यार है
देश-सेवा के लिये तन-मन सदा तैयार है ।
ईद दीवाली बड़ा-दिन होली और गुरु का परब
याँ बड़े सौहार्द से मनता हर-इक त्योहार है ।
अपने भारत में नहीं है कोई प्रतिभा की कमी
तथ्य ये स्वीकारता सम्पूर्ण ही संसार है ।
हिंद में लेकर जनम जो हिंद की खोदे जड़ें
ऐसे लम्पट-धूर्त पे सौ-सौ दफ़ा धिक्कार है ।
करके भ्रष्टाचार जो जेबों को अपनी भर रहा
देश का दुश्मन है वो सबसे बड़ा ग़द्दार है ।
इक तरफ़ उपलब्ध रोटी है नहीं दो-जून की
इक तरफ़ बर्बाद होता अन्न का भण्डार है ।
आज ’शमसी’ है किसे चिंता यहां कर्तव्य की
जिसको देखो, मुंह उठाए मांगता अधिकार है ।
(All rights are reserved with the poet Moin Shamsi)
इस देशभक्ति-ग़ज़ल को सुनने के लिये लिंक :
बुधवार, 5 जनवरी 2011
ग़ज़ल - मादर-ए-वतन | Urdu Shayari | Ghazal
सोमवार, 27 सितंबर 2010
तुम चले क्यों गए | A song written by MOIN SHAMSI | Tm Chale Kyon Gaye
तुम चले क्यों गये
मुझको रस्ता दिखा के, मेरी मन्ज़िल बता के तुम चले क्यों गये
तुमने जीने का अन्दाज़ मुझको दिया
ज़िन्दगी का नया साज़ मुझको दिया
मैं तो मायूस ही हो गया था, मगर
इक भरोसा-ए-परवाज़ मुझको दिया।
फिर कहो तो भला
मेरी क्या थी ख़ता
मेरे दिल में समा के, मुझे अपना बना के ,तुम चले क्यों गये
साथ तुम थे तो इक हौसला था जवाँ
जोश रग-रग में लेता था अंगड़ाइयाँ
मन उमंगों से लबरेज़ था उन दिनों
मिट चुका था मेरे ग़म का नामो-निशाँ।
फिर ये कैसा सितम
क्यों हुए बेरहम
दर्द दिल में उठा के, मुझे ऐसे रुला के तुम चले क्यों गये
तुम चले क्यों गये
तुम चले क्यों गये?
शब्दार्थ: परवाज़ = उड़ान रग-रग = नस-नस लबरेज़ = भरा हुआ
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( मेरी इस रचना के सभी अधिकार मेरे पास हैं : मुईन शम्सी )