रविवार, 17 मई 2020

बारहवीं कक्षा के विद्यार्थियों के लिए इतिहास के लेक्चर्स आसान भाषा में सुनने हों, तो नमूने के तौर पर यह विडियो देखें :
https://youtu.be/ky8gSUGfzCM

अंग्रेज़ी शब्दों जैसे उर्दू शब्द (Part 5)

अगर आप सोचते हैं कि cheese, jaws, job, noon और per शब्द सिर्फ़ इंग्लिश में ही हैं, तो आप ग़लत हैं । ये शब्द उर्दू में भी हैं । अधिक जानकारी के लिए यह लिंक ओपन कीजिए :
https://youtu.be/HFW-_7dDU3A

अंग्रेज़ी शब्दों जैसे उर्दू शब्द (Part 1)

शायद आप नहीं जानते होंगे कि urge, are, all, our, an शब्द उर्दू में भी हैं । जी हां, यह सच है । अधिक जानकारी के लिए दिए गए लिंक पर क्लिक करके हमारा विडियो देखिए ।https://youtu.be/1JZk0SsgxuY

Eid ki shaairi | PART 1 | Meanings and pronunciation

रविवार, 15 सितंबर 2019

Azaan | Meanings

अगर आप यह जानना चाहते हैं कि चौबीस घंटों में पांच बार मस्जिदों से आने वाली आवाज़ों के सही शब्द क्या हैं और उनका क्या अर्थ है, तो सही और सटीक जानकारी के लिए इस विडियो को देखें :
https://youtu.be/M9r1PbwCpqo

सोमवार, 27 मार्च 2017

Ghazal | Urdu Shayari | Apni Palkon pe Koi Khwaab

Ghazal | Urdu Shayari | Apni Palkon pe Koi Khwaab

My latest ghazal published in 27/3/2016 issue of INQUILAB daily:

अपनी पल्कों पे कोई ख़्वाब सजा कर देखो
दिल में उम्मीद की इक शम्मा जला कर देखो

इस अंधेरे में भी हर सम्त उजाला होगा
अपने रुख़ से जरा चिलमन को हटा कर देख़ो

अपनी तस्वीर लगी पाओगे इक गोशे में
दिल की महफ़िल में अगर आज भी आ कर देखो

दिल पे जो बोझ है, कम उस को अगर करना है
हाले-दिल तुम किसी अपने को सुना कर देखो

दोस्तों से तो सभी खुल के मिला करते हैं
दुश्मनों को गले इक बार लगा कर देखो

अब तो नग़मों से भी तूफ़ान बपा होते हैं
गीत जोशीला कोई तुम भी तो गा कर देखो

राह फूलों से भरी तुम को मिलेगी 'शमसी'
ग़ैर की राह से कांटों को हटा कर देखो ।
---मुईन शमसी

रविवार, 12 जुलाई 2015

Ramzan Vidaai Song | Ramzaan Ja Riya Haiga

Ramzan Vidaai Song | Ramzaan Ja Riya Haiga

रमज़ान जारिया हैगा

उर्दू का हर कलन्डर, हमको बतारिया हैगा
रमज़ान जारिया हैगा, रमज़ान जारिया हैगा

ईदी मिलेगी तगड़ी, कपड़े बनंगे नै-नै
बच्चों का दिल हलक़ से, बाहरकू आरिया हैगा

जिसने रखे ना रोज़े, और ना पढ़ी तरावीह
वो भी फुदक-फुदक के, ख़ुशियां मनारिया हैगा

कुर्ता तो सिल गिया है, पर ना सिला पजामा
दर्ज़ी भी आज देखो, नख़रे दिखारिया हैगा

अफ़्तार जम के ठूंसा, सहरी दबाके पेली
अब दस किलो सिवईंयें, हर पेटू लारिया हैगा

देदे ज़कात बन्दे, नादार मुस्तहिक़ को
मिस्कीन-बे-कसों का, हक़ क्यूं दबारिया हैगा

तैयारी ईद की अब, तू भी तो कर ले ’शम्सी’
अशआर बेतुके ये, काएकू सुनारिया हैगा

---मुईन शम्सी

रविवार, 14 अक्टूबर 2012

अब्र-ए-रहमत (Abr-e-rahmat) ('गर्भनाल' पत्रिका के अक्तूबर २०१२ अंक में प्रकाशित)


अब्र-ए-रहमत तू झूम-झूम के आ 
आसमानों को चूम-चूम के आ 


कब से सूखी पड़ी है यह धरती 
प्यास अब तो तू इसकी आ के बुझा 


खेत-खलिहान तर-ब-तर होंगे 
अपनी बूंदें अगर तू देगा गिरा


बूंद बन जाएगी खरा मोती 
सीप मुंह अपना गर रखेगी खुला 


फ़स्ल ’शमसी’ की लहलहाएगी 
फिर न शिकवा कोई, न कोई गिला । 

---मुईन शमसी 

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 Abr-e-rahmat tu jhoom-jhoom ke aa 
aasmaano ko choom-choom ke aa 


kab se sookhi padi hai ye dharti 
pyaas ab to tu iski aa ke bujha 


khet-khalihaan tar-ba-tar honge 
apni boondeN agar tu dega gira 


boond ban jaaegi khara moti 
seep munh apna gar rakhegi khula 


fasl 'shamsi' ki lehlahaaegi 
phir na shikwa koi, na koi gila. 

---Moin Shamsi


रविवार, 7 अक्टूबर 2012

"गर्भनाल" पत्रिका के अक्टूबर २०१२ अंक में प्रकाशित ग़ज़ल : लम्स



याद मुझे अक्सर आता है लम्स तुम्हारे होटों का 
ख़्वाब में आकर तड़पाता है लम्स तुम्हारे होटों का 

यादें धुंधला चुकी हैं यों तो साथ गुज़ारे लम्हों की
साफ़ है रोज़-ए-रौशन सा वो लम्स तुम्हारे होटों का 

कोशिश सदहा की पर लम्हे भर को भी ना भूल सके
दिल पे यों हो गया है चस्पां लम्स तुम्हारे होटों का 

जाम तुम्हारी नज़रों से दिन-रात पिया करते थे हम
लेकिन बस इक बार मिला वो लम्स तुम्हारे होटों का 

जुदा हुए थे जब तुम हसरत तब से ये है ’शमसी’ की
काश दुबारा मिल जाए वो लम्स तुम्हारे होटों का
---मुईन शमसी

शब्दार्थ :
लम्स = स्पर्श
होटों = होठों
रोज़-ए-रौशन = उजाले से भरा दिन
सदहा = सौ बार
चस्पां = चिपक जाना
हसरत = अभिलाषा

सोमवार, 20 अगस्त 2012

My ghazal published in "SAHAAFAT" daily on 25.3.2012


उनसे मिलकर ये बात पूछूंगा                    Unse milkar ye baat poochhoonga
 कैसे पाऊं निशात पूछूंगा                        Kaise paaun nishaat poochhoonga


मेरी बीनाई तो सलामत है                           Meri beenaai to salaamat hai
दिन क्यों लगता है रात पूछूंगा                  Din kyu lagta hai raat poochhoonga


ईद तो कब की हो चुकी मेरी                           Eid to kab ki ho chuki meri 
कब है शब्बे-बरात पूछूंगा                    Kab hai shabbe-baraat poochhoonga 


मैं हूं नज़रों के जाम पर ज़िंदा                   Main hu nazron ke jaam par zinda
 क्या है आबे-हयात पूछूंगा                     Kya hai aabe-hayaat poochhoonga 


जब से बिछड़ा हूं उन से सूनी सी                 jab se bichhda hu unse sooni si
 क्यों लगे कायनात पूछूंगा                       Kyu lage kaaynaat poochhoonga 


हुस्न के अपने इस ख़ज़ाने की                       Husn ke apne is khazaane ki
 क्यों न देते ज़कात पूछूंगा                      Kyu na dete zakaat poochhoonga 


बाज़ी-ए-आशिक़ी में ’शमसी’ को                    Baazi-e-ashiqi me 'shamsi' ko 
क्यों हुई है ये मात पूछूंगा ।                    kyu hui hai ye maat poochhoonga. 


---मुईन शमसी                                                         ---Moin Shamsi