इक रियासत में कभी रहती थी इक लड़की हसीं,,
थी बला की ख़ूबसूरत, ऐब उसमें इक नहीं
नाम उसका सिंड्रैला, वो बड़ी ही नेक थी,,
हुस्न के क्या कहने उसके, लाखों में वो एक थी
घर में उसकी मां भी थी और उसकी कुछ बहनें भी थीं,,
हां मगर इक बात थी, वो सब की सब सौतेली थीं
सिंड्रैला को सतातीं, उस पे करतीं ज़ुल्म थीं,,
काम घर के सब करातीं, ख़ुद वो कुछ करतीं नहीं
थी परेशां सिंड्रैला, ’उफ़’ मगर करती न थी,,
करती भी क्या आख़िर, उसका अपना था कोई नहीं
उस रियासत के शहंशाह ने किया ऐलान ये,,
"शादी शहज़ादे की होगी, हर कोई ये जान ले
ख़ूबसूरत लड़कियां इस मुल्क में हों जितनी भी,,
इक मुक़र्रर वक़्त पर दरबार में आएं सभी
अपनी दुल्हन ख़ुद चुनेगा शाहज़ादा फिर वहां,,
जो पसंद आएगी उसको, उससे ही होगा निकाह"
सुन के ये ऐलान, सारी लड़कियां सजने लगीं,,
थाम के दिल, इन्तिज़ार उस लम्हे का करने लगीं
सिंड्रैला की जो बहनें थीं, लगीं ये सोचने,,
"ये अगर दरबार में जा पहुंची तो फिर होगा ये
देख कर शहज़ादा इसको, देखता रह जाएगा,,
कौन पूछेगा हमें, इसको ही वो अपनाएगा"
सोच कर ये बात, घर के काम सब उसको दिये,,
चल पड़ीं दरबार को, परवाह बिन उसकी किये
सिंड्रैला थी अकेली, इक परी हाज़िर हुई,,
सिंड्रैला को सजाया, उसको इक गाड़ी भी दी
हूर-सी लगने लगीं अब, सिंड्रैला साहिबा,,
चल पड़ीं दरबार को वो, वाह अब कहना ही क्या !
शाहज़ादे ने जो देखा, रक़्स को मदऊ किया,,
नाचते दोनों रहे, लेकिन यकायक ये हुआ
"देर मुझको हो गई है" सिंड्रैला को लगा,,
तेज़ क़दमों से वो भागी, शाहज़ादा था हैरां
भागते में उसकी इक नालैन वां पे रह गई,,
सिंड्रैला की निशानी शाहज़ादे को मिली
उसने ये ऐलान करवाया कि "सुन ले हर कोई,,
जिसकी ये नालैन है, दुल्हन बनेगी बस वही"
सुन के ये ऐलान, फिर से लड़कियां आने लगीं,,
पैर में लेकिन किसी के जूती वो आई नहीं
सिंड्रैला जी की बहनों ने भी की कोशिश बड़ी,,
पैर में जूती न आई, उन को मायूसी हुई
आज़मा जब सब चुके तो सिंड्रैला ने कहा,,
"ये तो मेरी जूती है, लाओ ये मुझको दो ज़रा"
जैसे ही उसने वो पहनी, जूती उसके आ गई,,
ये अदा भी उसकी, शह्ज़ादे के दिल को भा गई
कर ली शादी सिंड्रैला से, बहुत ख़ुश वो हुआ,,
रह गईं जल-भुन के, जितनी थीं वहां पे लड़कियां
इस तरह तक़दीर उस मज़लूम की रौशन हुई,,
बन गई बेगम वो शाही, कल तलक जो कुछ न थी
सच कहा है ये किसी ने, "जो मुक़द्दर में लिखा,,
मिल के वो रहता है, दुश्मन लाख ही चाह ले बुरा ।"
---मुईन शमसी (सर्वाधिकार सुरक्षित)