Hindi Ghazal - देशभक्ति-ग़ज़ल
देश के कण-कण से और जन-जन से मुझको प्यार है
देश-सेवा के लिये तन-मन सदा तैयार है ।
ईद दीवाली बड़ा-दिन होली और गुरु का परब
याँ बड़े सौहार्द से मनता हर-इक त्योहार है ।
अपने भारत में नहीं है कोई प्रतिभा की कमी
तथ्य ये स्वीकारता सम्पूर्ण ही संसार है ।
हिंद में लेकर जनम जो हिंद की खोदे जड़ें
ऐसे लम्पट-धूर्त पे सौ-सौ दफ़ा धिक्कार है ।
करके भ्रष्टाचार जो जेबों को अपनी भर रहा
देश का दुश्मन है वो सबसे बड़ा ग़द्दार है ।
इक तरफ़ उपलब्ध रोटी है नहीं दो-जून की
इक तरफ़ बर्बाद होता अन्न का भण्डार है ।
आज ’शमसी’ है किसे चिंता यहां कर्तव्य की
जिसको देखो, मुंह उठाए मांगता अधिकार है ।
(All rights are reserved with the poet Moin Shamsi)
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bahut achchi gazal .. aapko padhna achcha laga
जवाब देंहटाएंthanx Shraddha ji.
जवाब देंहटाएंVery very nice
जवाब देंहटाएंNot bad
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