रविवार, 26 सितंबर 2010

Dil ki shayari - "वर्ल्ड हार्ट डे" के अवसर पर

कोई भी बात दिल से न अपने लगाइये, 

अब तो ख़ुद अपने दिल से भी कुछ दिल लगाइये ।


दिल के मुआमले न कभी दिल पे लीजिये, 

दिल टूट भी गया है तो फिर दिल लगाइये ।


दिल जल रहा हो गर तो जलन दूर कीजिये, 

दिलबर नया तलाशिये और दिल लगाइये ।


तस्कीन-ए-दिल की चाह में मिलता है दर्द-ए-दिल, 

दिलफेंक दिलरुबा से नहीं दिल लगाइये ।


दिल हारने की बात तो दिल को दुखाएगी, 

दिल जीतने की सोच के ही दिल लगाइये ।


बे-दिल, न मुर्दा-दिल, न ही संगदिल, न तंगदिल, 

बुज़दिल नहीं हैं आप तो फिर दिल लगाइये ।


’शम्सी’ के जैसा ना कोई दिलदार जब मिले, 

क्या ख़ाक दिल चुराइये, क्या दिल लगाइये ! 

इस रचना को सुनना चाहें, तो इस लिंक पर पधारें : 

https://youtu.be/RoQU0FcCTnw 

( मेरी इस रचना के सभी अधिकार मेरे पास हैं : मुईन शम्सी ) 


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