Hindi Ghazal - हिन्दी ग़ज़ल : शायरी | by MOIN SHAMSI
अभिव्यक्ति है ये भावनाओं के उफान की
ये शायरी ज़बां है किसी बे-ज़बान की
है कल्पना के संग ये निर्बाध दौड़ती
चर्चा कभी सुनी नहीं इसकी थकान की
उड़ने लगे तो सातवां आकाश नाप दे
सीमा तो देखिये ज़रा इसकी उड़ान की
बनती कभी ये प्रेम व सौन्दर्य की कथा
कहती कभी है दास्तां तीरो-कमान की
मिलती है राष्ट्रभक्ति की चिंगारी को हवा
लेती है जब भी शक्ल ये एक देशगान की
समृद्ध इसने भाषा-ओ-साहित्य को किया
रक्षा भी की है शायरों-कवियों के मान की
’शमसी’ जहां में इसने कई क्रांतियां भी कीं
दुश्मन बनी है क्रूर नरेशों की जान की ।
---मुईन शमसी (सर्वाधिकार सुरक्षित)
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