- रोमैंटिक ग़ज़ल
- किसी का मख़मली अहसास मुझको गुदगुदाता है
- ख़यालों में दुपट्टा रेशमी इक सरसराता है
- ठिठुरती सर्द रातों में मेरे कानों को छूकर जब
- हवा करती है सरगोशी बदन यह कांप जाता है
- उसे देखा नहीं यों तो हक़ीक़त में कभी मैंने
- मगर ख़्वाबों में आकर वो मुझे अकसर सताता है
- नहीं उसकी कभी मैंने सुनी आवाज़ क्योंकि वो
- लबों से कुछ नहीं कहता इशारे से बुलाता है
- हज़ारों शम्स हो उठते हैं रौशन उस लम्हे जब वो
- हसीं रुख़ पर गिरी ज़ुल्फ़ों को झटके से हटाता है
- किसी गुज़रे ज़माने में धड़कना इसकी फ़ितरत थी
- पर अब तो इश्क़ के नग़मे मेरा दिल गुनगुनाता है
- कहा तू मान ऐ ’शम्सी’ दवा कुछ होश की कर ले
- ख़याली दिलरुबा से इस क़दर क्यों दिल लगाता है !
- (कवि : मुईन शम्सी)
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गुरुवार, 25 नवंबर 2010
Romantic Ghazal | makhmali ahsaas |
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ओबिओ के पाँचवे मुशायरे की बेहतरीन ग़ज़लों में से एक है ये| बेहतरीन.........
जवाब देंहटाएंबताओ आप ने ब्लॉग बना लिए और हमें बताया भी नहीं| अब कोई बात नहीं, हमारे ब्लॉग पर भी तशरीफ़ लाईएगा|
http://thalebaithe.blogspot.com