सोमवार, 27 मार्च 2017

Ghazal | Urdu Shayari | Apni Palkon pe Koi Khwaab

Ghazal | Urdu Shayari | Apni Palkon pe Koi Khwaab

My latest ghazal published in 27/3/2016 issue of INQUILAB daily:

अपनी पल्कों पे कोई ख़्वाब सजा कर देखो
दिल में उम्मीद की इक शम्मा जला कर देखो

इस अंधेरे में भी हर सम्त उजाला होगा
अपने रुख़ से जरा चिलमन को हटा कर देख़ो

अपनी तस्वीर लगी पाओगे इक गोशे में
दिल की महफ़िल में अगर आज भी आ कर देखो

दिल पे जो बोझ है, कम उस को अगर करना है
हाले-दिल तुम किसी अपने को सुना कर देखो

दोस्तों से तो सभी खुल के मिला करते हैं
दुश्मनों को गले इक बार लगा कर देखो

अब तो नग़मों से भी तूफ़ान बपा होते हैं
गीत जोशीला कोई तुम भी तो गा कर देखो

राह फूलों से भरी तुम को मिलेगी 'शमसी'
ग़ैर की राह से कांटों को हटा कर देखो ।
---मुईन शमसी

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