सोमवार, 24 जनवरी 2011

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Hindi Ghazal - देशभक्ति-ग़ज़ल

देश के कण-कण से और जन-जन से मुझको प्यार है 

देश-सेवा के लिये तन-मन सदा तैयार है ।


ईद दीवाली बड़ा-दिन होली और गुरु का परब 

याँ बड़े सौहार्द से मनता हर-इक त्योहार है ।


अपने भारत में नहीं है कोई प्रतिभा की कमी 

तथ्य ये स्वीकारता सम्पूर्ण ही संसार है ।


हिंद में लेकर जनम जो हिंद की खोदे जड़ें 

ऐसे लम्पट-धूर्त पे सौ-सौ दफ़ा धिक्कार है ।


करके भ्रष्टाचार जो जेबों को अपनी भर रहा

 देश का दुश्मन है वो सबसे बड़ा ग़द्दार है ।


इक तरफ़ उपलब्ध रोटी है नहीं दो-जून की

 इक तरफ़ बर्बाद होता अन्न का भण्डार है ।


आज ’शमसी’ है किसे चिंता यहां कर्तव्य की 

जिसको देखो, मुंह उठाए मांगता अधिकार है ।

(All rights are reserved with the poet Moin Shamsi)

इस देशभक्ति-ग़ज़ल को सुनने के लिये लिंक : 

https://youtu.be/Bz4Ju8rJcYE 



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