बुधवार, 5 जनवरी 2011

ग़ज़ल - मादर-ए-वतन | Urdu Shayari | Ghazal

ग़ज़ल - मादर-ए-वतन - Urdu Shayari

हिन्दू है जिसका जिस्म, मुसलमान जान है
वो मादर-ए-वतन मेरी, जग में महान है ।

परचम में तीन रंग हैं तीनों बड़े अहम
लहरा रहा है देखिये क्या इसकी शान है !

घुलती है शाम-ओ-सुब्ह कोई मिसरी सी कान में
बजती हैं घंटियां कहीं होती अज़ान है ।

रक्षा को अपने हिन्द की सीमा पे सब खड़े
कोई है शेर सिंह कोई शेर ख़ान है ।

माटी से अपने देश की सोना निकालता
भारत की जग में शान बढ़ाता किसान है ।

अपने वतन से प्यार करो उसके हो रहो
कहते यही हैं वेद यह कहता क़ुरान है ।

जाना है जिसको जाए वो अमरीका-ओ-दुबई
’शमसी’ को तो अज़ीज़ यह हिंदोस्तान है ।
Poet : Moin Shamsi (All rights reserved)

( You can listen to this ghazal through this link : 


कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

If you want to ask anything related to Urdu and Hindi, you are welcome.