बुधवार, 29 सितंबर 2010

Ghazal : Ghamon ki dhoop | Best shayari in Urdu

ग़मों की धूप से तू उम्र भर ग़रीब रहे,

ख़ुशी की छाँव हमेशा तुझे नसीब रहे ।

रहे जहाँ भी तू ऐ दोस्त ये दुआ है मेरी,

मसर्रतों का ख़ज़ाना तेरे क़रीब रहे।

तू कामयाब हो हर इम्तिहाँ में जीवन के,

तेरे कमाल का क़ायल तेरा रक़ीब रहे ।

तू राह-ए-हक़ पे हो ता-उम्र इब्न-ए-मरियम सा,

बला से तेरी कोई मुन्तज़र सलीब रहे ।

नहीं हो एक भी दुश्मन तेरा ज़माने में,

मिले जो तुझसे वो बन के तेरा हबीब रहे ।

न होगा ग़म मुझे मरने का फिर कोई ’शम्सी’,

जो मेरे सामने तुझ-सा कोई तबीब रहे ।

         (कवि  : MOIN SHAMSI) 

 (All Rights Reserved) 
यह ग़ज़ल सुनना चाहें, तो यहाँ पधारें : https://youtu.be/NdzV2m_8BOU 


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